'जीवन के साथ भी-जीवन के बाद भी'
भारतीय संस्कृति में शास्त्र गौसेवा के माहात्म्य से भरे पड़े हैं। तीर्थ स्थानों पर जाकर स्नान दान से जो पुण्य प्राप्ति होती है, सम्पूर्ण ब्रत उपवास, तपस्या,
महादान तथा हरि की आराधना करने पर जो पुण्य प्राप्त होता है, सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा,
सम्पूर्ण वेदों के पढ़ने तथा समस्त यज्ञों को करनें से मनुष्य जिस पुण्य को पाता है, वही पुण्य
कोई बुद्धिमान पुरूष गौ माता की चारा सेवा करके भी प्राप्त कर सकता है।
बाबा मुकुन्ददास गौशाला कमेटी, नांगल चौधरी नें गौसेवा के महत्व
को ध्यान में रखते हुए दान दाताओं के लिए एक “अक्षय गौचारा कोष योजना”
का शुभारम्भ किया है। गौचारे के लिए दान दाताओं द्वारा दिए गये दान को इस कोष में जमा
कराया जाएगा। यह दान राशि हमेशा के लिए इस कोष में जमा रहेगी तथा इस राशि के ब्याज
से दान दाता की ओर से उनके “जीवन के साथ भी-जीवन के बाद भी, गायों को चारा खिलाया
जाता रहेगा।
इस योजना में न्यूनतम जमा राशि 5100 रू. है। जिसका मासिक ब्याज लगभग 30 रू. बनता है। अर्थात इस योजना में प्रतिदिन 1 रू. का चारा दान दाता की ओर से गायों को सदा सर्वदा खिलाया जाता रहेगा। योजना में अधिकतम जमा राशि की कोई सीमा नहीं है।
इस योजना में यदि कोई दान दाता 10 रू. प्रतिदिन गौचारा खिलाना चाहता है तो उसे 5100×10 = 51000 रू. कोष में जमा करानें होंगे।
अतः आप सभी दान दाताओं से गौशाला कमेटी आह्वान करती है कि इस योजना में खुले
दिल से दान करके अपने इहलोक एवं परलोक दोनों को सफल बनाएं।